Chandra Grahan (Lunar Eclipse) एक ऐसी खगोलीय घटना है जो हर साल लोगों के बीच उत्सुकता और धार्मिक महत्व का केंद्र बनती है। साल 2025 में दो चंद्र ग्रहण होने वाले हैं, जिनमें से दूसरा चंद्र ग्रहण 7-8 सितंबर 2025 को लगेगा। यह एक पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse) होगा, जो खगोल प्रेमियों और धार्मिक मान्यताओं को मानने वालों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपको इस चंद्र ग्रहण के समय, सूतक काल, भारत में दृश्यता और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी विस्तार से देंगे।
Chandra Grahan क्या है?
Chandra Grahan तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है, जिससे पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इस दौरान चंद्रमा पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह एक सामान्य खगोलीय घटना है, लेकिन ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं में इसे विशेष महत्व दिया जाता है। चंद्र ग्रहण आमतौर पर पूर्णिमा के दिन ही होता है, और 2025 का दूसरा चंद्र ग्रहण भी भाद्रपद पूर्णिमा के दिन होगा।
साल 2025 का दूसरा चंद्र ग्रहण
साल 2025 का दूसरा Chandra Grahan 7 सितंबर 2025 को रात 8 बजकर 59 मिनट से शुरू होगा और इसका समापन 8 सितंबर 2025 को रात 2 बजकर 24 मिनट पर होगा। इसकी कुल अवधि लगभग 5 घंटे 25 मिनट होगी। यह एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जिसमें चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में आ जाएगा। इस दौरान चंद्रमा का रंग लाल (Blood Moon) दिखाई दे सकता है, जो इसे और भी आकर्षक बनाता है।
किस समय होगा चंद्रग्रहण?
- प्रारंभ: 7 सितंबर 2025, रात 8:59 बजे
- पूर्ण चंद्र ग्रहण: 7 सितंबर 2025, रात 11:56 बजे से 1:26 बजे तक
- समापन: 8 सितंबर 2025, रात 2:24 बजे
भारत में चंद्र ग्रहण
दुर्भाग्यवश, 2025 का दूसरा Chandra Grahan भारत में दिखाई नहीं देगा। यह ग्रहण यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर, और अटलांटिक क्षेत्रों में दृश्यमान होगा। चूंकि यह भारत में नजर नहीं आएगा, इसलिए इसका धार्मिक और ज्योतिषीय प्रभाव भी सीमित माना जाएगा। भारतीय खगोल प्रेमियों के लिए यह निराशाजनक हो सकता है, लेकिन वे ऑनलाइन स्ट्रीमिंग या अंतरराष्ट्रीय वेधशालाओं के माध्यम से इस घटना का आनंद ले सकते हैं।

सूतक काल: क्या यह मान्य होगा?
हिंदू धर्म में सूतक काल एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जो Chandra Grahan या सूर्य ग्रहण से पहले शुरू होता है। सामान्यतः चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है, जिसमें शुभ कार्य, पूजा-पाठ, और कुछ दैनिक गतिविधियां वर्जित मानी जाती हैं। हालांकि, 2025 के इस दूसरे चंद्र ग्रहण के लिए भारत में सूतक काल मान्य नहीं होगा, क्योंकि यह ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूतक काल केवल उन क्षेत्रों में लागू होता है जहां ग्रहण नजर आता है। इसलिए, भारत में लोग अपनी सामान्य दिनचर्या और धार्मिक गतिविधियां बिना किसी रुकावट के जारी रख सकते हैं।
Chandra Grahan के दौरान क्या करें और क्या न करें?
हालांकि भारत में सूतक काल लागू नहीं होगा, फिर भी कुछ सावधानियां और धार्मिक प्रथाएं हैं जो लोग ग्रहण के समय अपनाते हैं। ये प्रथाएं ज्योतिष और परंपराओं पर आधारित हैं:
- मंत्र जाप: ग्रहण के दौरान ‘ॐ नमः शिवाय’, ‘महामृत्युंजय मंत्र’, या ‘विष्णु मंत्र’ का जाप करना शुभ माना जाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करता है।
- ध्यान और योग: ग्रहण का समय आध्यात्मिक साधना के लिए उपयुक्त माना जाता है।
- दान-पुण्य: ग्रहण समाप्त होने के बाद गरीबों को दान देना और गंगाजल से घर को शुद्ध करना लाभकारी होता है।
वैज्ञानिक रूप से, Chandra Grahan एक सामान्य खगोलीय घटना है जो पृथ्वी, सूर्य, और चंद्रमा की स्थिति के कारण होती है। यह किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा या प्रभाव का संकेत नहीं है। खगोल वैज्ञानिक इस घटना का अध्ययन पृथ्वी-चंद्रमा प्रणाली को समझने के लिए करते हैं। ग्रहण के दौरान चंद्रमा का लाल रंग (Blood Moon) रायले स्कैटरिंग (Rayleigh Scattering) के कारण होता है, जो सूर्य के प्रकाश के वायुमंडल में फैलने से उत्पन्न होता है।
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